Saturday, June 30, 2012

जबाड़ भोज


एकादशाक भोज, गामक डीलर साबकेँ बाबूक एकादशा | डील-डोलसँ सम्पूर्ण जबाड़केँ नोतल गेल | दसो गामक लोक सभ कियो बैल गाड़ीसँ कियो साईकिलसँ कियो पेएरे, साँझक छह ए ' बजेसँ लोकक करमान एनाइ शुरू | नोथारी सब आबि-आबि कए  बैसति | बैसअकेँ पूर्ण व्यबस्था | करीब पेंतीस हाथक तँ डीलर साबकेँ दलाने छनि आ आबैबला आगुन्तककेँ धियान राखि दलानक आगाँक बारी-झारीकेँ साफ सुथरा कए क ' एहेन सामियाना लागल जे ओहिमे पाँच सए लोग एक संगे बैस सकैत अछि | व्यबस्थाक कोनो कमी नहि | भोजनसँ पूर्ब सब व्यबस्था देखि रमणजी स्वंकेँ रोकि नहि  सकला आ अपन लगमे बैसल सुबोधजीसँ बजल,  "कीयौ दोस्त डीलर तँ  कोनो तरहक कमी नहि छोरलनि, एतेकटा सामियाना, एतेक लोककेँ नोतनाइ........."
सुबोध,  "हाँ"
रमण , "जबाड नोतनाइ कोनो मामूली गप्प छैक ओहूमे एतेक डील-डोलसँ, खाजा, मूँगबा , पेन्तोआ, रसगुल्ला आ सभ नोथारीकेँ एक-एकटा लोटा सेहो |"
सुबोध,  "सुनलहुँ तँ  हमहूँ  एहने  सभ | "
रमण,  " कि अपने की कहै छीयैक, सभटा कतेक खर्चा डीलरकेँ लागि जेतैन |" 
सुबोध, "हम कोना कहु, हम तँ  नहि कहियो जबाड़ खुवेलहुँ |"
रमण, "छोरु अहाँकेँ तँ  सदिखन मुँह फुलले रहैए, ओना हमारा  हिसाबे आठ-दस लाख रुपैया तँ लगबे करतन्हि  |"
सुबोध,  "आठ-दस लाख रुपैया डीलरकेँ लेल कोन भारी ओनाहितो हुनकर बरखोकेँ लौलसा छ्लन्हि जे कहिया बाबू मरथि आ ओ दिन आबि गेलैंह तँ  खुश तँ  हेबे करता, ख़ुशीमे  आठ लाख की आ दस लाख की..... |"

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जगदानन्द झा 'मनु'

विहनि कथाकर परिचय श्रृंखला भाग-5


जगदीश प्रसाद मंडल 1947

मैथिलीमे पहिल बाल प्रेरक विहनि कथा संग्रह " तरेगन " केर लेखक। साल 2011मे हिनका " गामक जिनगी " पर विदेह सम्मान ( जे की समानांतर साहित्य अकादेमी सम्मानसँ प्रचलित अछि ) भेटलन्हि। फेर साल 2012मे एही पोथीपर बर्ख 2011 लेल टैगोर साहित्य सम्मान भेटलन्हि। साल 2012 लेल हिनक पोथी " तरेगन "केँ बाल साहित्य लेल विदेह सम्मान ( जे की समानांतर साहित्य अकादेमी सम्मानसँ प्रचलित अछि ) चूनल गेलन्हि।


जँ इतिहासकेँ सम्यक रूपें लिखल जाए तँ मणिपद्म जीक बाद जगदीश जी उपन्यास सम्राट हेबाक अधिकारी छथि।


गाम-बेरमा, तमुरिया, जिला-मधुबनी। एम.ए.।कथाकार (गामक जिनगी-कथा संग्रह आ तरेगण- बाल-प्रेरक लघुकथा संग्रह), नाटककार(मिथिलाक बेटी-नाटक), उपन्यासकार(मौलाइल गाछक फूल, जीवन संघर्ष, जीवन मरण, उत्थान-पतन, जिनगीक जीत- उपन्यास)। मार्क्सवादक गहन अध्ययन। हिनकर कथामे गामक लोकक जिजीविषाक वर्णन आ नव दृष्टिकोण दृष्टिगोचर होइत अछि।


ई परिचय मुन्ना जीक सहयोगसँ बनल अछि।...

Friday, June 29, 2012

अनाथ



अस्सी बरखक सोमनाथजी  भरल-पुरल संसार छोरि अपन प्राण विशर्जन कए लेला | सभ मनोकामना पूर्ण तैयो सांसारिक मोह मायासँ बान्हल, सभ कियो हुनक मृत देहकेँ चारू कात घेरने, दुखी, व्याकुल, कनैत |
दूटा बेटा, दुनूक पुतौह, पोता-पोती सभ संगे, खाली बड़का बेटा मुंबईमे नोकरी करैत | हुनको तीन चारि दिन पहिले   सोमनाथजीक  बिगरल स्वास्थकेँ बाबत फोन भए गेल रहनि आ ओ गाम हेतु बिदा सेहो भए गेल रहथि | आब कोनो घड़ी आबि सकैत छलथि |
सोमनाथजी बड़का बेटाक आगमन | हुनका आबैत देरी सभ समांगक कननारोहटमे बिरधि भए गेलनि | हुनकर छोट भाइ  हुनका देखते देरी  भरि  पाँज  कए  पकरि कनैत, "भईया --- बाबू छोरि चलि गेला हुं-हुं ..... आबकेँ देखत ... "
बड़का छोटकाकेँ करेजसँ लगेने हुनक पीठकेँ सिनेहसँ सहलाबैत, "नै रे तूँ  किएक कनै छें, तोरा लेल तँ एखन हम जीबैत छीयौक तोहर सभ  कीछु  | अनाथ तँ आइ  हम भए गेलहुँ, माए चारि बर्ख पहिले चलि गेली आ आइ बाबूओ...."
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जगदानन्द झा 'मनु'

पत्नीभक्त

भोज खएबाक लेल बैसल छलहुँ। पात पर भात, दालि आ दू प्रकारक तीमन आबि गेल छल। बारिक सभ मनोयोग सँ परसि रहल छलाह । एही क्रम मे एक गोट बारिक बजलाह--

" एखन धरि फेकू बाबू नहि पहुँचलाह आछि"।
गप्प सुनतहि रमेश बाबू फरिझौलखिन्ह--
"औताह कोना पत्नी-भक्त छथि ने।घरवालीक पएर जतैत हेताह"।
सुधीर फेकू बाबूक समांग छलखिन्ह, तुरछि कए बजलाह---
पत्नी-भक्त भेनाइ खराप छैक की ?
जबाब दैत रमेश कहलखिन्ह तखन बैसल छी किएक जाउ अहूँ।
एहि बेर सुधीर गप्प के थोड़ेक मोड़ दैत बजलाह-
" त की अहाँक सिद्धान्तक मोताबिक पुरुष पत्नी-भक्त नहि भए वेश्या-भक्त बनि जाए"

विहनि कथाकार परिचय श्रृखंला भाग-4


प्रदीप बिहारी


जन्म--- 5/3/1963


जन्म स्थान कन्हौली मल्लिक टोल, खजौली, मधुबनी, बिहार। चर्चित कथाकार, उपन्यासकार ओ रंगकर्मी । प्रकाशित कृति: गुमकी ओ बिहाड़ि, विसूवियस (उपन्यास), औतीह कमला जयतीह कमला, खण्ड-खण्ड जिनगी, सरोकार (कथा संग्रह)। २००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)मैथिली लेल साहित्य अकादमी पुरस्कार



पहिने भ्रमवश आ नकल वश किछु कथाकार विहनि कथाकेँ " लघुकथा " कहैत छलाह। मुदा आब ई प्रथा खत्म भए गेल। 1995मे श्री मुन्ना जी द्वारा " विहनि कथा " मने seed story केर स्थापना भेल| हालेमे साहि्त्य अकादेमी द्वारा विहनि कथा आ ओकर अंग्रेजी नाम " seed story "अनुमोदित कएल गेल छै आ एकर विवरण अकादेमी द्वारा जारी जगदीश प्रसाद मंडल जीक परिचय ( जे की टैगोर साहित्य सम्मानक अवसर पर देल गेल छै )मे छै। आ ई हमरा हिसाबें बिल्कुल सटीक आ अर्थवान नाम छै।...


ऐ परिचय श्रृखंला केर उपयोगिता ई अछि जे विहनि कथा लेल किछु आदमी पी.एच.डी कए रहल छथि मुदा ओ मेहनति नै करए चाहैत छथि तँए हुनका सुविधा लेल ई परिचय जे ओ खाली ऐठामसँ कापी-पेस्ट कए लेथि। ई परिचय मुन्ना जीक सहयोगसँ बनल अछि।...

Thursday, June 28, 2012

नर्क

प्रस्तुत अछि हमर लिखल 62म विहनि कथा जकर शीर्षक छै " नर्क "।


" हे रौ, खा ले पूरा। ऐंठ ने छोड़ "
" ऊँ...ऊँह......नै आब नै खाएल हेतौ हमरासँ। पेट भरि गेलै "
" हे देखही उपरसँ भगवान देखै छथन्हि जे लोक जतेक बेर ऐंठ फेकै छै तकरा नर्कमे जाए पड़ैत छै आ ओहिठाँ ओकरा ओतेक दिन भूखल रहए पड़ैत छै "
" नै हमरा भूख नै छौ "
आ माए ओही छीपीमे अपनो हिस्सा लए खाए लागैए। बच्चा जवान भेलै, हिस्सक वएह मुदा बहन्ना दोसर------
" छोड़ भगवान-तगवानकेँ। ओ कोनो देखै छै। सभ झुट्ठे छै "
आ पिज्जा भरल पेटसँ आधे थारी खा उठि जाइत अछि। कालक्रमे जबान बूढ़ भेल। बेट-पुतहु बाहरे। खाली अपने आ बुढ़िया घरपर। जहिया बुढ़िया बेमार पड़ै तहिया उपासे सन लागै। ओना कहिओ काल देआद सभ सेवा कए दए मुदा ओहो सभ तेरहे -बाइस।
आ उपसे सन एकटा साँझमे बूढ़ाकेँ पड़ोसिया घरसँ सुनाइ पड़लन्हि--- " हे देखही उपरसँ भगवान देखै छथन्हि जे लोक जतेक बेर ऐंठ फेकै छै तकरा नर्कमे जाए पड़ैत छै आ ओहिठाँ ओकरा ओतेक दिन भूखल रहए पड़ैत छै "
आ की ई सुनिते बुढ़बाक रोंआ ठाढ़ भए गेलै। मोन पड़ि गेलै ओकरा अपन माएक गप्प। ठीक इएह तँ कहै छलै। आ सिहरैत-सिहरैत बूढ़ा अपन वर्तमानमे आबि गेलाह आ हिसाब लगाबए लगलाह जे ओ कते दिन कतेक बेर ऐंठ छोड़ने छथि।

विहनि कथाकार परिचय श्रृखंला भाग-3



तारानन्द वियोगी

जन्म---12/5/1966


शिलालेख (लघुकथा संग्रह),

महिषी, सहरसामे जन्म। पहिल पोथी अपन युद्धक साक्ष्य (गजल संग्रह) १९९१ मे प्रकाशित। अन्य पुस्तक हस्तक्षेप (कविता-संग्रह), अतिक्रमण (कथा-संग्रह), कर्मधारय( आलोचना )। राजकमल चौधरीक कथाकृति एकटा चंपाकली एकटा विषधर संकलन-स‍पादन। साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार २०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल" लेल। यात्री-चेतना पुरस्कार २०१० ई.मे सेहो प्राप्त भेलन्हि।

" हालचाल " आ " संकल्प " नामक दूटा पत्रिकाक किछु अंकक संपादन।


पहिने भ्रमवश आ नकल वश किछु कथाकार विहनि कथाकेँ " लघुकथा " कहैत छलाह। मुदा आब ई प्रथा खत्म भए गेल। 1995मे श्री मुन्ना जी द्वारा " विहनि कथा " मने seed story केर स्थापना भेल| हालेमे साहि्त्य अकादेमी द्वारा विहनि कथा आ ओकर अंग्रेजी नाम " seed story "अनुमोदित कएल गेल छै आ एकर विवरण अकादेमी द्वारा जारी जगदीश प्रसाद मंडल जीक परिचय ( जे की टैगोर साहित्य सम्मानक अवसर पर देल गेल छै )मे छै। आ ई हमरा हिसाबें बिल्कुल सटीक आ अर्थवान नाम छै।...

ऐ परिचय श्रृखंला केर उपयोगिता ई अछि जे विहनि कथा लेल किछु आदमी पी.एच.डी कए रहल छथि मुदा ओ मेहनति नै करए चाहैत छथि तँए हुनका सुविधा लेल ई परिचय जे ओ खाली ऐठामसँ कापी-पेस्ट कए लेथि। ई परिचय मुन्ना जीक सहयोगसँ बनल अछि।...

Wednesday, June 27, 2012

विहनि कथाकार परिचय श्रृखंला भाग-2


अमरनाथ

जन्म-15/11/1956

गाम--शुभंकरपुर ड्यौढ़ी ( दरभंगा)

बर्ख 1975मे हिनक विहनि कथा संग्रह " क्षणिका " प्रकाशित भेल। हिनक आन पोथी " कबकब " आ अन्य सभ अछि।



पहिने भ्रमवश आ नकल वश किछु कथाकार विहनि कथाकेँ " लघुकथा " कहैत छलाह। मुदा आब ई प्रथा खत्म भए गेल। 1995मे श्री मुन्ना जी द्वारा " विहनि कथा " मने seed story केर स्थापना भेल| हालेमे साहि्त्य अकादेमी द्वारा विहनि कथा आ ओकर अंग्रेजी नाम " seed story "अनुमोदित कएल गेल छै आ एकर विवरण अकादेमी द्वारा जारी जगदीश प्रसाद मंडल जीक परिचय ( जे की टैगोर साहित्य सम्मानक अवसर पर देल गेल छै )मे छै। आ ई हमरा हिसाबें बिल्कुल सटीक आ अर्थवान नाम छै।...

ऐ परिचय श्रृखंला केर उपयोगिता ई अछि जे विहनि कथा लेल किछु आदमी पी.एच.डी कए रहल छथि मुदा ओ मेहनति नै करए चाहैत छथि तँए हुनका सुविधा लेल ई परिचय जे ओ खाली ऐठामसँ कापी-पेस्ट कए लेथि। ई परिचय मुन्ना जीक सहयोगसँ बनल अछि।...

Tuesday, June 26, 2012

विहनि कथा-सरधुआ



धम्म. . . . | हम चौँक गेलौँ तखने फेर चिन्हार सन आबाज आएल ,"सरधुआ , श्राद्ध क' देबौ"
हम झट पिछु घुमलौँ हमरा सामने लिची आ आमसँ लुबधल गाछी छोड़ि और किछु नै छलै |
हम जखन 7 वर्षक रही त' एहि गाछी मे देखने रही , उज्जर केश आ मात्र एकटा साड़ी मे सोन काकी के । हुनक नामे मात्र सोन छलै बाँकी पूरा देह खूनक कमीसँ उज्जर चानी भ' गेल छलै । देखने छलौँ बम्बइ आम त'र खोपड़ी मे ईटा जोड़ि जलखइ बनबैत । माए कहैत छली जे बड़का जमीनदारक बेटी आ कनिया छथि सोन काकी |

जखन जखन गाछी मे धम्म. . .होइ हम सब छौड़ा आम लूझ' लेल दौड़ै छलौँ आ तखने सुनै छलौँ ," सरधुआ ,श्राद्ध क' देब. .."
तहिया एकर अर्थ नै बुझैत छलौँ तेँए हुनक इ बाजब नीक लागैत छल । हुनक चारू बेटा सबटा जमीन अपन नामे करएबाक लेल सोन काकी के जीबिते जड़ाएबाक कोशिश केने छल तहिये सँ एहि गाछी मे रहि रहल छथि सोन काकी , आ शाइद हिनक बेटा समय सँ पहिले काकी के श्राद्ध कर' चाहै छल7आ तेँए इ सब के गारि पाढ़ै छथि ," सरधुआ ,श्राद्ध क' देब . . .

आइ 15 वर्षक बाद गाम जा रहल छी । आम पाकबाक समय छै ।गाछी देख पहिलुक सब बात मोन पड़ि रहल छल । भूख सँ तड़पैत सोन काकीक मुँह आ हुनक प्रतीग्या जे हमरा घाटक डोम आगि देत से मंजुर,मुदा कोनो हालत मे बेटा हमर लाश नै छूअत ।
तखने गाछी मे आबाज पसरलै , धम्म . . .
हम बैग राखि गाछी दिश दौड़लौँ । तखने शाइद भ्रम मे आबाज एलै सरधुअ . . .

अमित मिश्र
21/05/12

Monday, June 25, 2012

विहनि कथाकार परिचय श्रृखंला भाग-1


हंसराज

मूल नाम-मंत्रनाथ झा

जन्म----28/10/1938
गाम--- उजान ( दरभंगा)

हिनक मृत्यु 2005मे भेलन्हि।..

18/11/1972मे प्रकाशित हिनक पोथी " जे किने से " एखन धरिक साक्ष्यक आधार पर मैथिलीक पहिल विहनि कथा संग्रह मानल जाइत अछि। ऐमे कुल 35टा विहनि कथा अछि आ ई पोथी मैथिली साहित्य संस्थान, पटनासँ प्रकाशित अछि। विहनि कथाक अतिरिक्त हंसराज जीक कविता सेहो लिखला आ हिनक " गंध " कविता कालजयी कविता थिक।

आन पोथी सभ---- ओ जे कहलन्हि ( साक्षात्कार ), संधान, अनेरे ( कविता ), शतंजा ( कथा)




पहिने भ्रमवश आ नकल वश किछु कथाकार विहनि कथाकेँ " लघुकथा " कहैत छलाह। मुदा आब ई प्रथा खत्म भए गेल। 1995मे श्री मुन्ना जी द्वारा " विहनि कथा " मने seed story केर स्थापना भेल| हालेमे साहि्त्य अकादेमी द्वारा विहनि कथा आ ओकर अंग्रेजी नाम " seed story "अनुमोदित कएल गेल छै आ एकर विवरण अकादेमी द्वारा जारी जगदीश प्रसाद मंडल जीक परिचय ( जे की टैगोर साहित्य सम्मानक अवसर पर देल गेल छै )मे छै। आ ई हमरा हिसाबें बिल्कुल सटीक आ अर्थवान नाम छै।...

ऐ परिचय श्रृखंला केर उपयोगिता ई अछि जे विहनि कथा लेल किछु आदमी पी.एच.डी कए रहल छथि मुदा ओ मेहनति नै करए चाहैत छथि तँए हुनका सुविधा लेल ई परिचय जे ओ खाली ऐठामसँ कापी-पेस्ट कए लेथि। ई परिचय मुन्ना जीक सहयोगसँ बनल अछि।...

Friday, June 15, 2012

मार बाढ़नि तेसरो बेटीए




हेमंत बाबूक बेटी रोशनी, अपन नामक अनुरूपे अपन कृतीक पताका  चारू कात लहराबति, आईएएसकेँ परीक्षामे भारत वर्षमे प्रथम दसमे अपन स्थान अनलथि | समाचार सुनि हेमंत बाबू दुनू परानीक प्रशन्नताक कोनो ठीकाने नहि | जे सsर सम्बंधी आ समाजक लोक सुनलनि सेहो सभ  दौड़-दौड़ आबि हेमंत बाबूकेँ बधाइ दैत | रोशनी बड्डका जेठका सभकेँ प्रणाम करैत आशीर्वाद लैत |
फूलो काकी फूल जकाँ हँसैत- बजैत एलि, रोशनी हुनक दुनू पेएर पकरि आशीर्वाद  लेलनि  | फूलो काकी रोशनीकेँ अपन करेजासँ लगबैत टपाकसँ बजलिह, "हे यौ हेमंत बौआ, अहाँक तेसर ई  फेक्लाही बेटी तँ सगरो खनदानकेँ जगमगा देलक |"
हुनकर  एहि गप्पपर सभ कियो ठहाका मारि कए  हँसय लागल | मुदा हेमंत बाबू आइसँ एक्किश बर्ख पाछूक इआदमे विलीन भए  गेला - - | दूटा बेटी भेला बाद कोना ओ बेटाक इक्षामे मंदिरे-मंदिरे  देवता पितरकेँ आशीर्वाद लेल  भटकैत   रहथि | मुदा  हुनकर सभटा मेहनत बेकार भेलनि जखन हुनक कनियाँक तेसर प्रसब पीड़ाकेँ बाद फूलो काकीक स्वर  हुनकर कानमे परलनि,  " मार बाढ़नि  तेसरो बेटीए ....."
एहिसँ  आँगा हुनका किछु नहि सुनाई देलकन्हि  | जेना की अपार दुखसँ मोनमे कोनो झटका लागल होइन, ओ अपन जगहपर ठारकेँ ठारे रहि गेल रहथि    |
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जगदानन्द झा 'मनु'

Friday, June 8, 2012

की भगवती हमर घर एती ?



मोहंती बाबा | भरि गामक बाबा | भरि गामक लोक  हुनका बाबा कहि कए संबोधित करैत छनि जेकर कारण छैक  हुनकर बएस  | पनचानबे बर्खक मोहंती बाबा अपन कद काठी आ डीलडोलसँ एखनो अपन उम्रकेँ पछुआबैत, लाठी टेक कए गामक दू चक्कर लगा कए आबि जाइ छथि | मुदा अपन गाम भगवतीक दर्शन करैक हेतु कहियो नहि जाइ छथि | गाममे बनल विशाल भगवतीक मंदिर, भगवती बड्ड जागरन्त चारू कातक बीस गाममे भगवतीक महिमाक चर्चा छन्हि | गामक नियमकेँ हिसाबे गामक  सभ  कियो दिनमे  एक ने एक बेर भगवती घर भगवतीक  दर्शन हेतु अबश्य जाइ  छथि |
गर्मीक छुट्टीमे बाबाक पोता जे की दिल्लीमे कोनो प्रतिष्ठित काज करै छला, गर्मी बिताबै आ आम खेबाक इक्छासँ गाम एला | ओहो गामक परम्पराक निर्वाह करैत भगवतीक दर्शन कए  ' एला | एला बाद दलानपर बैसल बाबा संगे गप सप होइत रहलै | गपक बिच संजय बाबासँ पुछलथि,  " बाबा अहाँ भगवती घर नहि  जाइ  छियैक |"
बाबा, "नहि "
संजय, "किएक"
बाबा, "हौ बौआ, भगवती घर तँ  सभ  कियोक  जाइत अछि, मुदा भगवती केकरो-केकरो घर जाइ  छथिन | हम अपन मन आ स्वभाबकेँ एहेन बनाबैक प्रयासमे छी जे भगवती हमर घर आबथि |"
संजय बाबाक मुँहसँ एहेन दार्शनिक गप सुनि अबाक रहिगेल आ सोचय लागल जे की ओकर मन आ स्वभाब  एहेन छैक जे कहियो  भगवती ओकर घर एती ? ओकर अबाक रहैक कारण रहै शाइद  नहि  |
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जगदानन्द झा 'मनु'